बांग्लादेश में शेख हसीना का होना हमेशा से भारत के लिए अच्छा था। भारत नहीं चाहता था कि शेख हसीना की सरकार गिरे। इसे लेकर एक नई रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने अमेरिका से कहा था कि वह शेख हसीना पर दबाव बनाना बंद करे। क्योंकि इससे भारत की सुरक्षा को खतरा होगा।
वॉशिंगटन/ढाका: बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हाथ धोना पड़ा है। वॉशिंगटन पोस्ट में बांग्लादेश की राजनीति को लेकर बड़ा दावा किया गया है। रिपोर्ट में भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा कि शेख हसीना के बांग्लादेश से भागने के एक साल पहले भारतीय अधिकारियों ने अपने अमेरिकी समकक्षों से बांग्लादेश की पूर्व पीएम पर दबाव डालना बंद करने को कहा था। जनवरी 2024 में बांग्लादेश में चुनाव हुए थे। लेकिन इससे पहले हजारों विरोधियों को शेख हसीना ने जेल में डाल दिया था। अमेरिका ने इसकी सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी।
अमेरिकी प्रशासन बांग्लादेश पुलिस की एक इकाई पर प्रतिबंध भी लगा चुका है, जिस पर शेख हसीना के नेतृत्व में न्यायेतर अपहरण और हत्या का आरोप लगा है। इसके साथ ही लोकतंत्र को कमजोर करने या मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले बांग्लादेशियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक उच्च स्तरीय बैठकों की एक शृंखला के दौरान, भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका से बांग्लादेश के बारे में अपने लोकतंत्र समर्थक बयानबाजी को कम करने का आग्रह किया था। कथित तौर पर इसे लेकर तर्क दिया गया कि अगर विपक्ष चुनावों के जरिए सत्ता हासिल करती है तो इससे बांग्लादेश इस्लामी समूहों का केंद्र बन जाएगा जो भारत के लिए खतरा बन सकता है।
अमेरिका ने दबाब बनाना किया था बंद
रिपोर्ट के मुताबिक एक भारतीय अधिकारी ने कहा, ‘आप इसे लोकतंत्र के स्तर पर देखते हैं, लेकिन हमारे लिए यह मुद्दे बहुत गंभीर और अस्तित्व से जुड़े हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अमेरिकियों के साथ बहुत सी बातचीत हुई, जिसमें हमने कहा कि यह हमारे लिए एक मुख्य चिंता का विषय है और आप हमें रणनीतिक साझेदार के रूप में नहीं मान सकते जत कि हमारे पास किसी तरह की रणनीतिक सहमति न हो।’ रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद बाइडन प्रशासन ने आलोचना को कम कर दिया और हसीना के शासन के खिलाफ आगे के प्रतिबंधों की धमकियों को टाल दिया, जिससे कई बांग्लादेशी निराश हो गए।
स्थिति नहीं संभाल पाए भारत-अमेरिका?
अगस्त में शेख हसीना के आधिकारिक आवास पर मार्च करने वाले प्रदर्शनकारियों ने सेना की ओर से लगाए गए कर्फ्यू को नहीं माना। भारी भीड़ को अपनी ओर बढ़ता देख उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। भारत और अमेरिका में बैठे नीति निर्माता यह विचार कर रहे हैं कि क्या उन्होंने बांग्लादेश की स्थिति को गलत तरीके से संभाला। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश में हमेशा से संतुलन बनाने की जरूरत होती है, क्योंकि कई जगहों पर जमीनी स्तर पर स्थिति जटिल होती है और आप अपने साझेदारों के साथ इस तरह का काम करना चाहते हैं जो अमेरिकी लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप न हो।