प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जिला न्यायपालिका की नेशनल कॉन्फ्रेंस में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा समाज की गंभीर चिंता है और इसके लिए कठोर कानून बनाए गए हैं, लेकिन उन्हें और अधिक सक्रिय करने की आवश्यकता है।
पीएम मोदी ने न्यायपालिका से इन मामलों में तेजी से फैसले लेने की अपील की, ताकि महिलाओं में सुरक्षा की भावना बढ़े। उन्होंने यह भी कहा कि जिला न्यायपालिका न्याय का प्रथम केंद्र है और इसे हर तरह से सक्षम और आधुनिक बनाना देश की प्राथमिकता होनी चाहिए।
कोलकाता रेप कांड की जांच के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की सुरक्षा पर बड़ा बयान दिया है। पीएम ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इससे महिलाओं को अपनी सुरक्षा का अधिक भरोसा मिलेगा।मोदी ने यह भी कहा कि न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना जाता है और सुप्रीम कोर्ट तथा न्यायपालिका ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है।
पीएम मोदी ने कहा, “आज महिलाओं पर अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा समाज की गंभीर चिंता है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए देश में कई सख्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन हमें इसे और अधिक सक्रिय बनाने की जरूरत है। जितनी तेजी से फैसले लिए जाएंगे महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े मामलों में आधी आबादी को सुरक्षा का बड़ा आश्वासन मिलेगा।”
उनकी यह टिप्पणी तब आई है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को पीएम मोदी को पत्र लिखकर बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर कड़े केंद्रीय कानून और अनुकरणीय सजा के लिए अपना अनुरोध दोहराया था।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, “आजादी के अमृतकाल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है- विकसित भारत, नया भारत। वह है- सोच और संकल्प में आधुनिक भारत। हमारी न्यायपालिका इस दृष्टिकोण का एक मजबूत स्तंभ है।”
नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले
पीएम ने कहा, नया भारत, यानी सोच और संकल्प से एक आधुनिक भारत। उन्होंने कहा, हमारी न्यायपालिका इस विजन का एक मजबूत स्तंभ है। भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है। इन कानूनों की भावना है-नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले है।